• Crown Media talks with Modi Entertainment on Kermit; merges service with Hallmark in Asia

    Submitted by ITV Production on Oct 31, 2000

    US-based Crown Media Holdings, parent of Crown Media International, is in talks with the Modi Entertainment Network (MEN) to set up an Indian joint venture for kid‘s channel, Kermit. Crown is exploring whether a relationship of this kind will help increase its distribution and advertising revenue.
    Kermit has been distributed by MEN in India over the past year or so and more than 5,000 IRDs have been placed with cable operators to enable them to receive the encrypted service. The channel charges cable operators a carriage fee of around Re 1 per subscriber. Indian cable ops have also paid up advances for the IRDs.

    Elsewhere in Asia, Crown has taken the decision to relaunch Kermit as a day part service on Hallmark, which is also being recast and reintroduced with a snazzier look and better packaging. Kermit will cease to be telecast as a separate 24 hour feed over Asia from 1 November.

  • DTH gets go-ahead; but final clearance still some time away

    Submitted by ITV Production on Oct 30, 2000

    The group of ministers on DTH - headed by home minister L.K. Advani - met once again on 30 October and said they had no reservations on giving it the go-ahead.

    Since television comes under the purview of the information and broadcasting ministry, minister Sushma Swaraj and her team will prepare a note which is to be presented to the Union Cabinet for approval within a fortnight.

    From current indications, it appears as if the GoM is in favour of a 49 per cent ownership cap, an open set top box regime, no specific need for broadcasters to go via the Prasar Bharati‘s service, and a licence fee.

    The details will however become clearer over the next few days.

  • DTH looks set to get go-ahead from ministerial group; awaits Cabinet nod

    Submitted by ITV Production on Oct 30, 2000

    The old bugbear is finally out of the way. Ku-band direct to home television (DTH) looks set to get the go-ahead finally after a three year ban on sale of Ku-band reception equipment. The group of ministers on DTH - headed by home minister L.K. Advani - met twice yeterday to flesh out the issue, but couldn‘t come up with a final set of recommendations, though in principle they agreed that it should be cleared and presented to the cabinet for its approval.

    Among those participating in Sunday‘s meeting were Advani, finance minister Yashwant Sinha, information technology minister Pramod Mahajan, information and broadcasting minister Sushma Swaraj, and the law minister Arun Jaitley.

    The ministers were slated to be meeting at the time of writing and draw up a final set of recommendations. It is quite likely that they will recommend that DD be the main DTH operator in partnership with private companies. Additionally, it is expected to allow limited foreign pariticipation in DTH.

    Both Star TV and Zee TV - along with Malaysian operator Measat, which has a two year old pact with the state-owned network - will be watching anxiously what the GoM will finally propose.

  • Cable Europe appoints new MD

    Submitted by ITV Production on Oct 30, 2000

    केरल व कर्नाटक के महिला सरपंचों के एक संगठन द्वारा कराए गए सर्वेक्षण में कुछ रोचक तथ्य सामने आए हैं. कुछ लोगों का यह विचार था कि महिला सरपंचों का नजरिया भ्रष्टाचार के विरुद्ध है तथा वे सरकार के कार्यक्रमों को पूरी तरह से लागू करती हैं. सर्वेक्षण में यह बात गलत साबित हुई तथा यह तथ्य सामने आया है कि महिलाएं भी धनलोलुप हैं. यदि हम इन सर्वेक्षणों को किनारे रख दें तो भी हम पाएंगे कि महिला और पुरुष सरपंचों में कोई खास अंतर नहीं है.

    यह अध्ययन इसको नकारता है कि महिलाओं को संसद या विधानसभाओं में जाने और सत्ता में अधिक भागीदारी मिलने पर भ्रष्टाचार में कमी आएगी, जिसको आधार बनाकर महिला संगठन उनके लिए ३३ फीसदी आरक्षण की मांग कर रही हैं.
    वास्तव में इसे साबित करने के लिए दक्षिण भारत के गांवों में इसके सर्वेक्षण की कोई आवश्यकता नहीं थी. अगर हम वर्तमान परिदृश्य पर नजर डालें तो कुछ महिला नेताओं जैसे तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जे. जयललिता और बहुजन समाज पार्टी की नेता मायावती, दोनों के मामले में यह कहा जा सकता है कि महिलाएं भी उतना ही भ्रष्टाचार में लिप्त हैं जितना कि पुरुष.
    भारत में यह प्रचलन हो गया है कि किसी भी काम के लिए हमें सुविधा शुल्क देना पड़ता है. यह स्पीड मनी होता है और यदि आप सुविधा शुल्क नहीं देंगे तो आप कोई भी काम नहीं करा सकते. देश की लचर कानून ब्यवस्था का नौकरशाह व राजनीतिज्ञ भरपूर लाभ उठाते हैं लेकिन आम आदमी को कोई भी काम कराने के लिए सुविधा शुल्क का सहारा लेना पड़ता है. मृत्यु या जन्म प्रमाणपत्र लेना हो, या फिर भीड़ भरी ट्रेन में सीट, हमें सुविधा शुल्क देना पड़ता है.
    एक अनुमान के अनुसार अपना काम कराने के लिए लोग लगभग १ ट्रीलियन डालर का भुगतान करते हैं जबकि यहां एक अरब लोग रोटी के लिए संघर्ष कर रहे हैं. यहां तो जीने के लिए भी लोगों को सुविधा शुल्क देने की आवश्यकता पड़ रही है. जब भ्रष्टाचार ऊंचे स्थानों पर होता है और उसमें रक्षा व उड़ानों से संबंधित सौदे होते हैं तो उसके कुछ और ही मायने होते हैं.
    राजनीतिज्ञों के लिए सुविधा शुल्क अपने मतदाताओं की देखभाल करने व मुख्य रूप से चुनाव लड़ने के काम आता है. विचारधारा के क्षरण के साथ ही चुनाव काफी खर्चीले हो गए हैं. एक सामान्य सर्वेक्षण के अनुसार प्रत्येक सांसद चुनावों में चुनाव आयोग द्वारा तय की गई अधिकतम धनराशि २० लाख से काफी अधिक खर्च करते हैं. एक अनुमान के अनुसार यह आंकड़ा पांच करोड़ से ज्यादा का है. यह आश्चर्य की बात है कि सांसदों के पास इतने पैसे कहां से आते हैं?
    पूरे देश को आश्चर्यचकित कर देने वाले जैन हवाला घोटाले की जांच के दौरान एक बहुत अमीर आरोपी से पूछा गया कि वह इतने थोड़े पैसों के लिए ऐसा क्यों किया तो उसका जवाब था कि "राजनीति में किसी भी काम के लिए प्रत्येक समय पैसों की जरुरत होती है और उनके पास पैसे कमाने का कोई पारदर्शी तरीका नहीं होता है". अधिकतर राजनीतिज्ञ व कुछ बड़े वकील राजनीति के अलावा कुछ भी नहीं करते. चुनावों के समय अपने धन का लेखा जोखा प्रस्तुत करने के बाद भी बहुत से राजनीतिज्ञों की आय का स्रोत नहीं पता होता है. आयकर विभाग को इस बारे में गहन छानबीन करनी चाहिए.
    केवल राजनीतिज्ञों पर ही दोषारोपण क्यों करें. कुछ पब्लिक सर्वेंट जो भ्रष्टाचार में लिप्त हैं, उनमें से अधिकतर नए भारत के प्रतिमान हैं जो वायुयान और बीएमडब्ल्यू कारों पर सवारी करते हैं लेकिन उनकी छवि अच्छी नहीं होती. अपने लाभ के सामने उनके लिए नियम कानून कोई मायने नहीं रखता और वे कर भी अदा नहीं करते. यहां तक की उनमें से अधिकतर आर्थिक सुधारों का लाभ भी उठाते हैं.
    ऐसे माहौल में जहां सभी कुछ या तो गैरकानूनी है या अवैध तरीके से प्राप्त किया जा रहा है, ऐसे में नियम कानून की बात करना बेमानी हो गया है. नियम कानून का पालन करने वाले लोग भी जब यह देखते हैं कि भ्रष्टाचारी फल फूल रहे हैं तो वे भी इस दबाव के आगे झुक जाते हैं. इसमें कोई आश्चर्य नहीं है कि भारत में अधिकतर निर्माण अवैधानिक हैं और जब भी कुछ अवैध निर्माणों पर बुल्डोजर चलाया जाता है तो इसे अत्याचार के तौर पर लिया जाता है. बुल्डोजर का सामना कर रहे लोगों के अनुसार "हमने एमसीडी अधिकारियों को इसके लिए पैसे दिए हैं, हमने बिजली और पानी का पैसा दिया है, हमें कभी यह नहीं लगा कि हम गलत कर रहे हैं".
    वे आश्चर्यचकित होते हैं कि क्यों सरकार और न्यायालय सैनिक फार्म में स्थित राजनीतिज्ञों के निवासों को ढ़हाने नहीं देते जबकि वे भी उसी तरह अवैध हैं. यदि सरकार भूमि कानून को सरल बना दे तो दिल्ली में चल रहा तोड़फोड़ भ्रष्टाचार के खिलाफ उठाया गया एक अच्छा कदम है.
    यदि केंद्रीय सूचना आयोग के अधिकारी अपने भूत को त्याग दें और लोगों को सब कुछ जानने के अधिकार पर अमल करें तो सूचना का अधिकार इस दिशा में एक प्रभावी कदम साबित होगा. सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए योग्य लोग ही ऊंचे पदों पर बैठें. पूंजीपतियों और नौकरशाहों को सजा का भागीदार बनाने से यह संदेश जाएगा कि भ्रष्टाचार कम खतरनाक और अधिक निवेश का उद्यम नहीं है. संयुक्त राष्ट्र में भ्रष्टाचार रोकने के समझौते पर भारत के हस्ताक्षर करने के निर्णय के कारण भारत की छवि और अधिक स्पष्ट हुई है और आने वाले दिनों में इसका प्रभाव दिखाई देगा.
    प्रधानमंत्री का यह सुझाव कि सरकार को चुनाव के खर्चे खुद उठाने चाहिए, शुरुआती दौर में यह अच्छा प्रयास है. स्टिंग आपरेशन में दोषी व सदन की गरिमा को धूमिल कर रहे सांसदों को संसद द्वारा उनकी सदस्यता समाप्त किया जाना एक अच्छा उदाहरण है. नए वैश्विक नियम के अनुसार भ्रष्टाचार को अंतरराष्ट्रीय अपराध मानते हुए राष्ट्रों को यह अधिकार दिया है कि वे उन कंपनियों के खिलाफ कारवाई कर सकते हैं जो उनकी अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाएंगी या सुविधा शुल्क देकर ठेके प्राप्त करेंगी. यदि ऐसा होता है तो भ्रष्टाचार के प्रति लोगों का नजरिया बदलेगा. सामान्य कार्यों जैसे कि ड्राईविंग लाईसेंस या गृह लोन लेने के लिए सुविधा शुल्क नहीं देना होगा. जब तक ऐसा नहीं हो जाता तब तक सामान्य आदमी को सुविधा शुल्क देना होगा क्योंकि उन्हें जिंदा रहना है.
  • UTV LOOKS AT DD BROADBAND BONDING AND 2001 IPO

    Submitted by ITV Production on Oct 25, 2000

    Media company UTV‘s Singapore subisdiary is in talks with state-owned broadcaster DD to promote its online initiative, ddindia.com in Singapore. UTV Chairman Ronnie Screwvala says that revenue sharing discussions are on to launch ddindia.com on the UTV-owned sharkstream.com, its streaming video portal. Screwvala refused to divulge any further details on what the revenue share is likely to be as nothing had been finalised as yet.
    He, however, pointed out that sharkstream.com has a subscriber base of 90,000 subscribers in Singapore courtesy its linkup with the local broadband initiative there, Singapore One. UTV receives a part of the Sing$ 3 to $9 per month that Singapore One collects from each of its subs. "The arrangement is under review," points out Screwvala.

    Currently, sharkstream.com webcasts 17 video channels and 70 audio channels. 180 hours of programming are available for pay per view access to subscribers. sharkstream.com has also recently launched via MSO GigaMedia in Taiwan, and plans an Indian launch this month.

    Screwvala added that the UTV board had recently approved the prospectus for its proposed public issue, and expects to place it with Sebi withn three weeks. UTV hopes to launch the US$ 40 million (Rs 1,859 million) public issue in early January 2001, to fund its expansion plans.

    Some 90 percent of the issue will be sold via the book building route, with 10 percent being offered to retail investors. The funds are slated to be utilised to add content at both UTV and its animation offshoot UTV Tons, the company‘s broadband projects and finally to reduce the its present debt.

    The UTV IPO has been one of the most awaited in recent times. Announced about a year ago, it has yet to make its debut. Screwvala and his team have been threatening to unravel it almost every two months. But they have decided against it time and again thanks either to the Nasdaq downturn, or the fizzling of new economy stocks. Hopefully, UTV means business this time.

  • Zee TV gets organic with Chakra TV

    Submitted by ITV Production on Oct 25, 2000

    Zee Telefilms Ltd‘s organic channel, in planning for the past couple of years, has finally been given a name-Chakra and is being readied for a lauch.

    The niche, "alternative lifestyle" channel‘s concept stems from the wealth of knowledge available in India of the country‘s past - scriptures, herbal medicine, organic farming, spiritualism, etc. Because of the increasing demand in the Western markets for ancient Indian values and products, the channel will initially target the US and UK markets. But very little film or TV content on ancient Indian knowledge is available. "Freshly produced programming in English" is being specially commissioned for the channel, says the head of Chakra, Alok Dutta.

    The proposed channel will launch with a four hour band, after acquiring a three month bank of programming. Depending on the success of the English programming , and the demand, the programs could be dubbed in European and other languages. Although Dutta refused committing a firm launch date, because of competitive reasons, he hopes to launch soon. However, ZTL had committed at it‘s Annual General Meeting to launch at the end third quarter-early fourth quarter 2000.

    As part of the business plan, the channel will transcend from sampling visual " knowledge to experience", by marketing a range of Ayurvedic, herbal and other products via e-commerce and alliances. Chakra is open to all kinds of alliances - content, carriage, distribution, sourcing and marketing. Dutta expects the channel to be "unique and sustainable."

    Chakra‘s business model is pay subscription revenues from the UK and US markets , and e-commerce from products, and consultancy. Dutta said that ZTL will invest Rs 2000 million over three years and expects break even in five years.

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